प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
2 जुलाई, 2015 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 'मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को मंजूरी दी। बुल्लेखनीय है कि इस योजना के लिए पांच वर्ष (2015-16 से 201 9-20 ) के लिए 50 हजार करोड़ राशि की राशि का प्रावधान किया गया है और मासिक वित्तीय वर्ष के लिए 5300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं .ज्ञातता है कि देश में कुल 14.2 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि मे से 65 प्रतिशत में सिंचाई सुविधा नहीं है।
प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना 'के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं: -
सिंचाई में निवेश में एकरूपता लाना।
हर खेत को पानी 'के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना।
खेतों में ही जल का उपयोग करने की दक्षता को बढ़ाना पानी के अपव्यय को कम किया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर 'प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना' की निगरानी प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में सभी संबंधित मंत्रालयों के साथियों के साथ एक अंतर-मंत्रालयी राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससी) द्वारा की जान।
कार्यक्रम के कार्यान्वयन संसाधनों के आवंटन अंतर-मंत्रालयी समन्वय, निगरानी और प्रदर्शन के आकलन के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एनईसी) गठित की यात्रा।
राज्य स्तर पर योजना का कार्यान्वयन संबंधित राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता राज्य स्तरीय मंजूरी देने वाला समिति (एसएलएससी) द्वारा किया गया।
इस समिति के पास परियोजना को मंजूरी देने और योजना की प्रगति की निगरानी का पूरा अधिकार होगा।
कार्यक्रम को और बेहतर तरीके से लागू करने के लिए 'जिला स्तरीय समिति' भी विल।
प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत कृषि जलवायु की दशाओं और पानी की उपलब्धता के आधार पर जिला और राज्य स्तरीय योजनाएं बनायी जा रही हैं।
इस योजना के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में 1000 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है।
इस योजना में केंद्र 75 प्रतिशत अनुदान और 25 प्रतिशत खर्च राज्यों की जिम्मेदारी होगी।
पूर्वोत्तर क्षेत्र और पर्वतीय राज्यों में केंद्र का अनुदान 90 प्रतिशत तक होगा।
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